अपनी उत्सुकता सुबह होते ही खत्म हुई है, जब सारे अखबार देख लिए। रेल बजट पर इस बार नया देखने को मिला है। शायद इसे ही ट्रैंड कहते हैं, इस बार कई अखबारों बिना किसी इलेस्ट्रेशन के सीधा-सपाट इन्फॉर्मेटिव अखबार बनाया है। टाइम्स ऑफ इंडिया छोटा ही सही लेकिन इलेस्ट्रेशन से खेल रहा है, लेकिन हिन्दी के अखबारों की मत पूछो बस चले तो पूरे रेल बजट को ही इलेक्ट्रेशन में कन्वर्ट कर दें। चूंकि रेल मंत्री पंश्चिम बंगाल से आते हैं इसलिए वहां के अखबार भी छान मारे पता चला आंनद बाजार पत्रिका बिना सीधा सपाट बना है, टेलीग्राफ भी कुछ ऐसा ही बन है। हिन्दू और इंडी एक्सप्रेस हमेशा की तरह सीधी बात कर रहे हैं। नईदुनिया का पेज नंबर दो सलीके से सजाया गया है। ग्रापिफक पूरे पेज का लेकिन चुभता नहीं कीर्तिश भाई को बधाई। इलेस्ट्रेशन की बात करें तो अंगरेजी में अजीत नीनन और हिन्दी में इस्माइल लहरी का कोई तोड नहीं है बेशक हिन्दी के अखबारों में दबंग दुनिया अच्छा बना है।
बाकी समीक्षा आप भोपाल से प्रकाशित प्रदेश टुडे के सूरमा भोपाली और
इंदौर से प्रकाशित प्रभातकिरण के नाबीना की जुबानी पढ लेना अपने वो कटिंग भी दे रहे हैं।
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