शुक्रवार, अक्टूबर 21, 2011

गद्दाफी का अंत और इंडिया-यूएई के अखबार

कर्नल गद्दाफी के खात्मे की खबर को अंगरेजी अखबारों ने तरजिह दी है। जबकि कई हिन्दी अखबार ने गद्दाफी की मौत को सिंगल कॉलम में ही निपटा दिया। हिन्दी अख़्ाबारों पर हंसी इसलिए आती है, जब लिबिया में क्रांति हो रही थी। आधे-आधे पेज और अंदर स्पेशल पन्ने बना रहे थे और जब क्रांति अपने मुकाम पर पहुंची तो उस क्रांति को डीसी भी मयस्सर नहीं हुई। हिन्दी अखबारों में भास्कर ने सम्मानजनक पैकेज दिया है, लेकिन पुष्य नक्षत्र के कारण बैनर की जगह छह कॉलम से ही संतोष करना पड़ा है। दिल्ली के सभी अखबारों में गद्दाफी लीड है, लेकिन जागरण के नेशनल एडिशन में पोप  की खबर लीड है।
इस बार यूएई के अखबार भी दे रहा हूं, क्योंकि अरब में गद्दाफी का दखल रहा है। वहां खलीज, नेशनल और गल्फ ने गद्दाफी को लीड बनाया है।