रविवार, जनवरी 31, 2010

ऐसी चिट्ठी पहले कभी नहीं पढ़ी

पिछले दिनों इंदौर जेल से एक सप्‍ताह में दो कैदी भाग गए थे। नईदुनिया के इंदौर संस्‍करण जेल प्रशासन की व्‍यवस्‍थाओं पर क्‍या खूब व्‍यंग्‍य मारा है देखिए तो सही।
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फरार कैदियों के नाम जेलर का खत
तमाशा
मेरे आगे
प्रिय कैदियों लौट आओ। सेंट्रल जेल से फरार होने वाले दोनों कैदियों प्लीज लौट आओ। जबसे तुम गए हो सुपरिडेंट बीमार है। पूरा विभाग परेशान है। खुद डीआईजी आकर देख गए हैं कि तुम कैसे भागे। तुम्हारे जिस साथी ने भागने में तुम्हारी मदद की उसी ने डीआईजी को डेमो देकर बताया कि तुम ऐसे भागे थे। डेमो खत्म होने पर सभी जेल कर्मचारियों ने तालियाँ बजाई, डीआईजी साहब ने भी एक मिनट बजाई मगर फिर हाथ रोक लिए। तुम्हारे भागने की तरकीब देखकर डीआईजी साहब भी बहुत प्रभावित हुए। वे कह रहे हैं कि यदि भागने वाला कैदी लौट आए तो उसे जेल की सुरक्षा सौंप दी जाए।
प्यारे कैदियों लौट आओ। हम जानते हैं कि तुम क्यों भागे। जेल में खाना अच्छा नहीं है। सोने की जगह भी नहीं है। बिस्तर बिछाने की जगह के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। कैदी अपना खाना खुद बघार कर खा सकते हैं मगर इसके लिए भी जेलर से लेकर सिपाही तक की मुट्ठी गर्म करना पड़ती है। बीमार पड़ जाओ तो कोई दवा नहीं देता, जबकि पैसे वाले लोग बीमारी के इलाज के नाम पर जेल का समय एमवाय अस्पताल में काटते हैं। दिन भर लोग वहाँ उनसे मिलने आते हैं। वे घर के दाल-बाफले खाते हैं और दिनभर मुँह में गुटखे का पाउच ठूँसे रहते हैं। मोबाइल फोन कान पर होता है और हाथ जेब में।
डीआईजी साहब ने तय किया है कि अब तुम्हें अच्छा खाना दिया जाए। सोने की जगह भी ठीक-ठाक मिल जाए। तुम्हारे साथ मार-पीट भी ना हो। बीमार पड़ जाओ तो अच्छा इलाज कराया जाए। जेल के बाहर जो चीजें तुम्हें सरकार नहीं दे सकती वो जेल प्रशासन तुम्हें देगा। अब तो इस बात पर भी विचार चल रहा है कि कैदियों को उनकी पत्नी से एकांत में मिलाया जाए। यानी किसी चीज की कोई तकलीफ ही नहीं रहनी है। तो ऐसे में तुम बाहर क्या करोगे? प्रिय कैदियों आ जाओ। बाहर की दुनिया बहुत सख्त है। बिना कमाए एक निवाला नहीं मिलता। यहाँ जेल में मौज ही मौज है। हम वादा करते हैं कि अगर तुम लौट आओ तो कोई तुम्हें कुछ नहीं कहेगा। तुम जेल में ऐसे रहोगे जैसे अपनी मर्जी से रह रहे हो। नहीं लौटे तो कुछ लोगों का तबादला होगा, मगर तुम कौन से सुखी रह लोगे? भागते फिरोगे इधर से उधर। थोड़ा हम नम रहे हैं, थोडा तुम नम जाओ। आपस की बात है आपस में हम तय कर लेंगे। तुम्हारे भागने से मीडिया बिना कारण बीच में आ गया है। खैर उसकी तो आदत ही है। तो तुम आ रहे हो ना ?
तुम्हारा...
(एक्स वाय जेड)
जेलर, सेंट्रल जेल इंदौर
पुनश्चः आने का मूड हो तो मेरे पर्सनल मोबाइल नंबर पर फोन करना। नंबर तो तुम्हें मालूम ही है।