बाल ठाकरे का भौंकता हुआ लेख जो उन्होंने सामना में लिखा है वो और उसका हिंदी अनुवाद। भौंकता शब्द के इस्तेमाल के लिए सुधि मित्रों से माफी चाहता हूं, लेकिन सचिन तेंडुलकर जैसे महानतम खिलाड़ी पर अंगुली उठाना मैं अपनी बेइज्जती समझता हूं। अब कुछ लोग पत्रकारिता को हथियार बनाने लगे हैं। सामना भी शिवसेना का हथियार ही है। जहां बाल ठाकरे को जो लिखना है वो लिख देते हैं। हमारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी उस लेख पर कार्यक्रम पर कार्यक्रम बनाकर चलाने लगती है। मेरा कहना है ऐसे लोगों को हाइप ही मत दो साले लिखना ही बंद कर देंगे। वैसे भी ये क्या खाक पत्रकारिता करेंगे। बदतमीजों को अख़बार की भाषा ही नहीं मालूम। बाल ठाकरे के सामना के ही हिंदी संस्करण में महेश भट्ट को लेकर एक ख़बर जिसमें उनके बेटे का हेडली से संबंध है। उस पर सामना का हेडिंग है ‘क्यों नहीं भौंक रहे महेश भट्ट’ ये कौन सी मर्यादित भाषा है। देश का इतना बड़ा कलाकार जिसका पूरी परिवार फिल्म उद्योग में अपना खून पसीना बहा रहा हो उसे कुत्ता लिख दिया। थोड़े ही दिन की बात है देख लेना राज ठाकरे भी एक अख़बार निकालेंगे फिर किसी न किसी से मराठी में लेख लिखवाएंगे और अपने नाम से छपवा देंगे।
बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर अपनी आमद दी है। इसके माफी दीजिएगा, दरअसल बेटी तीन महीने की है इसलिए उसका ध्यान रखने में गड़बड़ हो रही है।
बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर अपनी आमद दी है। इसके माफी दीजिएगा, दरअसल बेटी तीन महीने की है इसलिए उसका ध्यान रखने में गड़बड़ हो रही है।