रविवार, सितंबर 20, 2009

अख़बार में कुछ काम की बातें

पिछले दिनों एक किताब पढ़ी है जिसमें न्‍यूजरूम, आइडिया और रिपोर्टिंग से संबंधित कुछ चीजें दी गई है। किताब अंगरेजी में है। मैं बहुत अच्‍छा अनुवादक तो नहीं हूं फिर सुधि मित्र काम की चीज समझ लेंगे। शेष हिस्‍सा समय-समय पर देता रहूंगा। फिलहाल इतने से काम चलाएं
अपना आइडिया लिखित में दें
रिपोर्टर को अपना आइडिया लिखित में देना चाहिए, चाहे वह स्‍पेशल स्‍टोरिज हो या महत्‍वपूर्ण ख़बर। एक छोटे से नोट में यह बताना चाहिए ख़बर का एंगल क्‍या होगा, इस ख़बर से कौन सा वर्ग प्रभावित होगा। पाठक के लिए ख़बर कितनी महत्‍वपूर्ण है। विजुअल (जैसे फोटो, ग्राफिक्‍स, कार्टुन, इलेस्‍ट्रेशन) क्‍या होगा, कितने दिन में ख़बर पूरी हो सकेगी, अगर ख़बर में कोई खर्च हो तो उसे भी दर्शाएं, आपकी ख़बर कितने दिन तक चलेगी अगर सीरिज चलाएं तो उल्‍लेख करें। कोशिश करें कि एक पैरा में ही यह सब हो जाएं। क्‍योंकि आपकी लंबी चौड़ी चिट्ठी पढ़ने का टाइम संपादक के पास नहीं होगा।
समय प्रधान ख़बरें दें
संपादक तब खुश होंगे जब उन्‍हें समय के अनुरूप ख़बरें मिलेंगी। मतलब ये कि दीवाली में पटाखों के बाजार पर अच्‍छी स्‍टोरी हो सकती है, लेकिन दीवाली के तीन महीने पहले ये स्‍टोरी लिखना कि पटाखों का बाजार सजने लगा है। समय के अनुसार ठीक नहीं है। भूत, भविष्‍य और वर्तमान को ध्‍यान में रखकर स्‍टोरी करनी चाहिए। किसी केस की सुनवाई के पहले केस से संबंधित कोई धमाकेदार ख़बर आपके अख़बार की बिक्री बढ़ा सकती है। जब कोई रिपोर्टर कोई एवरग्रीन स्‍टोरी पेश करता है तो उसे बताना चाहिए कि वह इस समय क्‍यों ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है। अगर आपका कोई आइडिया रिजेक्‍ट कर दिया गया हो तो कभी उसे खत्‍म न समझें, हो सकता है समय के हिसाब से वो प्रांसगिक हो जाए। संपादक को बताएं कि किस तरह वह रिजेक्‍ट किया हुआ आइडिया अब एंगल बदलकर महत्‍वपूर्ण हो सकता है।
लोकल से नेशनल –
अगर आप लोकल ख़बर कर रहे तो उसे नेशनल सिचुएशन से कंपेयर करें। ठीक यही स्थिति नेशनल ख़बर के साथ भी होती है। जबकि कोई ख़बर नेशनल होती है तो देखें उसी एंगल पर लोकल क्‍या हो सकता है। उदाहरण के लिए जब छठे वेतनमान से केंद्रीय कर्मचारियों की पेंशन बढ़ने की ख़बर आई तो देखना चाहिए कि राज्‍य के कर्मचारियों की पेंशन कितनी बढ़ेगी फिर दोनों का तुलानात्‍मक अध्‍ययन करें। कुछ एक्‍सपर्ट्स से बात करें। बेहतरीन स्‍टोरी होगी। यही नियम अन्‍य ख़बरों के साथ लागू करें।
पुराना महत्‍वपूर्ण है
हमेशा अपने अख़बार को ध्‍यान से पढ़ना चाहिए, दूसरे अख़बार पढ़ने की भी आदत होना ही चाहिए। अगर कोई स्‍टोरी कर रहे हो। तो देखें आपके या अन्‍य अख़बार में कुछ सालों, महीनों दिनों पहले उस मुद्दे पर क्‍या छापा था। ये उल्‍लेख करें तब और अब सिचुएशन क्‍या है। किस तरह पूरी सिचुएशन बदल गई है। जारी…