बुधवार, जून 17, 2009

घमंड से भरा हुआ टाइम्‍स का माफीनामा

ये लो अहमदाबाद टाइम्‍स ऑफ इंडिया का माफीनामा भी आ गया। वो भी पूरा दो लाइन का। समझ नहीं आता अंगरेजी में हर बात छोटी क्‍यों होती है। ये माफीनामा भी ठीक वैसा ही जैसे आज के युवा किसी बुजुर्ग से टकराते हैं, उन्‍हें गिराते हैं और कहते हैं सॉरी। सो टाइम्‍स ने भी आपसे कह दिया सॉरी रीडर। लेकिन इतनी बड़ी गलती का इतना सा माफीनामा, बहुत ही हास्‍यास्‍यपद है। अपने क्‍लासीफाइड का रेट बढ़ाते हैं, तो बड़ा सा विज्ञापन देते हैं। कोई ख़बर का असर हो जाए, तो टाइम्‍स इम्‍पेक्‍ट मारकर लंबा सा कलर बॉक्‍स बना देते हैं। टाइम्‍स अपने बड़े होने का दावा करता है लेकिन उसमें बड़प्‍पन नहीं है। टाइम्‍स का दो लाइन का माफीनामा भी घमंड से भरा हुआ ।