न्यूज 24 पर आज दोपहर एक खबर चल रही थी कि छतरपुर के एक विधायक जो 24 घंटे पहले ही मंत्री बने हैं, उनके बेटे ने थानेदार की गाड़ी फोड़ी और थानेदार के घर जाकर उत्पाद मचाया। खबर की शब्दावली देखिए
उसे सत्ता का गुरुर है कानून की उसकी जेब में हैक्योंकि बाप मंत्री है
मैंने भी सोचा ये कौन है भाई जरा देखना चाहिए। पूरी खबर देख ली आरोपी की बनियान में ली एक विजुअल दिखा रहे हैं मैंने सोचा रिपोर्टर बात करेगा लेकिेन कोई बात नहीं। पूरी खबर में यह नहीं पता कि मंत्रीजी के बेटे ने क्योंं मारपीट की। उन ही आरोपी का बयान, न ही पीडि़त की बात। मन से ही खबर बनाए जा रहे हैं। जिस आदमी का बयान है उससे साफ बुलवाया जा रहा है कि यह बोलो कि अभी 24 घंटे पहले ही आरोपी(चैनल द्वारा बनाया) के पिता मंत्री बने हैं अगर अभी यह हाल है तो आगे क्या होग। जो कह रहा है वह कांग्रेसी है यह मुझे कैसे पता यार गले में कांग्रेसी तिरंगा जो है। फिर इस केस से उसका लेनादेना भी तो नहीं है। चैनल ने न तो आरोपी से बात की न पीडि़त से बात की तो मंत्री से। उनकी बात चैनल मंत्रीजी सफाई कह कर परोसता है। जबकि मंत्री कह रहे हैं मुझे जानकारी नहीं है अगर उसने (मेरे बेटे ने) अगर केाई अपराध किया है तो कानूनी कारüवाई की जाए मैं हस्तक्षेप नहीं करूंगा। यह सफाई है या आदेश आप समझ सकते हैं।
जब एएसपी से बात की तो वे कहते हैं कोई शिकायत नहीं आई है। रिपोर्टर सवाल दागता है क्या कारüवाई करेंगे अरे भले मानुष जब शिकायत नहीं तो कैसी कारüवाई। फिर सवाल पुलिस क्या कर रही है। क्या मंत्री के बेटे का छोड़ रही है। एसपी साहब बोलते हैं आप विशलेषण कर लीजिए।
खबर बेचेने के इस बाजार में चैनल वाले क्या-क्या नहीं कर रहे हैं। कल तो एक चैनल सांई बाबा की तस्वीर का बोलता हुआ दिखा रहा था लçेकन सचाई यह कि वह यू टयूब से एक एनिमेटेड çक्लपिंग थी।
चैनल को भी मालूम है लोग मंत्री के बेटे की दादागिरी के नाम से खबर देंखेंगे सो दिखा दी।
यह पोस्ट लिखने का उद्देश्य सिर्फ इतना है चैनल वाले क्या-क्या परोस रहे हैं। अरे बाबा यह तेा टीआरपी का चक्कर है।