अख़बार की बात

शुक्रवार, जुलाई 22, 2011

हैरी पॉटर और मीडिया

हैरी पॉटर पश्चिमी मीडिया के लिए क्या है यह लिखने से अच्छा है देख लें।






प्रस्तुतकर्ता धर्मेन्‍द्र चौहान पर 7/22/2011 12:48:00 pm
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▌ अपनी बात ▌

काफी समय से पत्रकारिता से जुड़ा हूं। यही मेरा काम है, यही मेरा जुनून। इस सफर में कई अच्‍छे लोगों के साथ काम करने और सीखने का मौका मिला है। 2005 में पांच नदियों वाले पंजाब की सरजमीं (दोआबा फिर मालवा) पर काम किया। इसके बाद देश की राजधानी में रहकर टीवी की दुनिया में काम किया, लेकिन अपन ठहरे अख़बार के दीवाने कहा मन लगता।उसे छोड़ा और अब रेवा की नगरी जबलपुर में वापस प्रिंट मीडिया में काम किया। इसके बाद मप्र की राजधानी भोपाल पहुंचे। भोपाल से वापस नई दिल्ली में अखबार में ही काम कर रहा हूं। अख़बारिता अपना जुनून है। देश-विदेश के अखबार पढ़ना मुझे पसंद है। अखबारी दुनिया से जुड़ा हूं तो समझता हूं कि उस दुनिया से जुड़ी हर अपडेट इससे जुड़े लोगों के पास हो या वो जो अखबार में रुचि रखते हैं। बस ऐसी ही कोशिश अपने ब्लॉग में कर रहा हूं। ताकि देश-विदेश के अखबारों में क्या हो रहा है यह आप जान सकें और कुछ ऐसे लोगों का वर्चस्‍व भी समाप्त हो सके जो दुनियाभर के अखबार पढ़कर अपने अधीनस्थों पर रौब जमाते हैं। मुझे परफ्यूम से ज्‍यादा अख़बार के कागज़ और स्‍याही की खुशबू अच्‍छी लगती है। मुझे दुनिया के सात रंग नहीं सिर्फ चार रंग स्‍यान, मैजेन्‍डा, येलो और क्‍यान अच्‍छे लगते हैं। मुझे पंडित जसराज के अलावा वो शोर अच्‍छा लगता है जो अख़बार छापते समय प्रिंटिंग मशीनें करती हैं। मुझे लगता है इस दुनिया में दो चीजों का बनना अद्भुत प्रक्रिया है एक किसी बच्‍चे का मां की कोख में बनना और दूसरा अख़बार का बनना।
☻ धर्मेन्‍द्र चौहान

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