बुधवार, अप्रैल 07, 2010

नक्‍सली हमले की कवरेज में हिंदी अख़बार आगे अंगरेजी पीछे

 दैनिक भास्‍कर, नईदुनिया, टेलीग्राफ का बेहतरीन कवरेज 

नक्‍सली हमले की ख़बर टीवी पर देखी, दिल दहल गया। सुबह घर आए अख़बार खुले तो अलग अलग प्रस्‍तुतिकरण पाया। सोचा देशभर के कुछ अख़बारों को टटोलें कैसे कवर किया है। सबसे पहले बात हिंदी अख़बारों की करते हैं विश्‍व के सबसे ज्‍यादा बिकने वाले जागरण के राष्‍ट्रीय संस्‍करण का शीर्षक है नक्‍सली हमले से दहली दिल्‍ली मेरी कम पढ़ी लिखी पडोस वाली अम्‍मा के समझ नहीं आया। बोली हमला छत्‍तीसगढ़ में हुआ है दिल्‍ली में क्‍यों दहली, क्‍या कोई भूकंप आया है। फिर समझाया सरकार में चिंता बढ़ गई है। जागरण दिल्‍ली का लोकल एडिशन साफ साफ लिखता है ग्रीन हंट का लाल जवाब समझ आ गया। हिंदुस्‍तान ने ग्राफिक्‍स बनाया और लिखा 76 जवान घेरकर मार डाले। अमर उजाला ने इसे सबसे बड़ा हमला बताते हुए 76 के शहीद होने की ख़बर दी। प्रस्‍तुतिकरण सराहनीय है। प्रभात ख़बर ने शहीदों की संख्‍या शीर्षक में गलत लिखी है। रांची एडिशन 86, पटना एडिशन ने 75 जवान शहीद लिखा है। वहीं प्रभात ख़बर के धनबाद संस्‍करण ने तो हेडर भी बदला है। नईदुनिया ने केंद्र सरकार के नक्‍सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन ग्रीन हंट पर कटाक्ष करते हुए शीर्षक दिया है खूनी रेड हंट। नईदुनिया के रायपुर संस्‍करण ने शानदार प्रस्‍तुतिकरण किया है जो नईदुनिया के अन्‍य संस्‍करणों पर भारी पड़ रहा है। पत्रिका के चार संस्‍करण जबलपुर, इंदौर, भोपाल और जयपुर ने अलग अलग पेज बनाया है जिससे लगता है हर संस्‍करण ने अपने अपने अनुसार पेज वन बनाया है जबकि अधिकांश अख़बारों ने सेंट्रल डेस्‍क से बनाया हुआ थोड़ा बहुत फेरबदल कर छापा है। दैनिक भास्‍कर ने भी सबसे बड़ा नक्‍सली हमला शीर्षक से प्रथम पेज लेटा दिया है। लेकिन रायपुर संस्‍करण के लिए अपने शहर में हुई 27 लाख की डकैती जैसी बड़ी ख़बर को पहली जगह दी है। सभी अख़बारों ने एक या दो पेज नक्‍सलवाद पर बनाए हैं। भास्‍कर और नईदुनिया का छत्‍तीसगढ़ में नेटवर्क मजबूत है इसलिए इन अख़बारों अच्‍छे कॉन्‍टेंट के साथ दो दो अतरिक्‍त पेज बनाए हैं। अधिकांश अख़बारों में टेबल ड्राफ्ट की हुईं ख़बरें पढ़ने को मिली है। कई लोगों ने नक्‍सलियों से संबंधित ख़बर लिखी है लेकिन वे ख़बर छत्‍तीसगढ़ के किसी शहर से नहीं इंदौर,दिल्‍ली,पटना में बैठकर लिखी गई हैं। सोचिए दिल्‍ली का पत्रकार ये लिखे कि छत्‍तीसगढ़ में इन दिनों क्‍या हालात है तो हंसी नहीं छूटेगी।
अंगरेजी अख़बार
अंगरेजी अख़बारों के हेडिंग तो लाजवाब हैं किसी ने इसे नक्‍सलियों का कत्‍लेआम बताया है तो किसी ने लिखा है जंगली। सबसे बेहतरीन प्रस्‍तुति नक्‍सलियों से प्रभावित राज्‍य पं बंगाल के कोलकाता से प्रकाशित टेलीग्राफ ने दी है। टेलीग्राफ ने बकायदा ग्राफिक्‍स और हेडिंग लाजवाब है लिखा है SAVAGED जिसका अर्थ है जंगली बेहद सटिक शीर्षक दिया है। अंगरेजी अख़बारों में भी प्रभात ख़बर की तरह गफलत पैदा की है। द हिंदू ने मरने वाला की संख्‍या 74 लिखी है, वहीं इंडियन एक्‍सप्रेस ने 75, टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने 74 जबकि टेलीग्राफ ने आकंडा सही लिखा है 76। टाइम्‍स ऑफ इंडिया की पहले पेज पर छपी लीड ख़बर की नई दिल्‍ली, हैदराबाद और भोपाल में बैठकर लिखी गई है याने भोपाल से किसी संवाददाता ने सरकारी सूत्रों के हवाले से ख़बर लिखी है। इससे पता चलता है कि टाइम्‍स का छत्‍तीसगढ़ में कोई संवाददाता ही नहीं है। अंदर का एक स्‍पेशल पेज है उस पर भी रांची, भोपाल और नईदिल्‍ली से ख़बर लिखी है। किसी गेस्‍ट या एनजीओ वाले ने एक पीस तक छत्‍तीसगढ़ से नहीं लिखा है। टाइम्‍स ने इस पर संपादकीय भी लिखी है।