बुधवार, जनवरी 20, 2010

पेज तो अच्‍छे लेकिन प्रयोग करते समय कुछ बातों का ध्‍यान रखें

अभी कुछ अच्‍छे पेज मिले हैं। कुछ सिंपल हैं तो कुछ तड़क भड़क वाले लेकिन सभी अपनी-अपनी जगह ठीक हैं। तोड़फोड़ कर प्रयोग कर सकें तो मुझे खुशी होगी। लेकिन सभी मित्रों से अनुरोध है कि अपनी प्रिंटिंग क्‍वालिटी के हिसाब से ही पेज बनाएं। अगर आपकी प्रिंटिंग क्‍वालिटी ज्‍यादा रंग फैलाती है तो हल्‍के रंगों का इस्‍तेमाल कर लें। सिर्फ प्रिंटिंग ही नहीं अख़बार के कागज का भी ध्‍यान रखें। ऐसा न हो कि क्‍वार्क पर पेज ठीक दिख रहा हो, मशीन भी अच्‍छी हो लेकिन कागज खराब इस्‍तेमाल करने के कारण पेज खराब हो जाए। इसलिए सभी चीजों को ध्‍यान में रखकर पेज बनाएं तो अच्‍छा होगा। आपको अपना अनुभव बताता हूं, जब मैं इंदौर में था तो वहां की मशीन पर दस प्रतिशत ब्‍लैक देने पर वो स्क्रिन उठ जाती थी। फिर जालंधर तबादला हुआ अख़बार लांच होना था डमी निकल रही थी । वहीं दस प्रतिशत ब्‍लैक का स्क्रिन लगाया ठीक से नहीं छपा। अगले दिन 15 प्रतिशत लगाया कलर ठीक छपा। फिर अंदाजा हो गया कौन सा कलर किस तरह इस्‍तेमाल करना है। इसलिए अख़बार बनाते समय मशीन, कागज का ध्‍यान जरूर रखें। ये भी ध्‍यान रखें कि आपकी मशीन से कौन सा कलर ज्‍यादा उठता है, उसी का इस्‍तेमाल करें। मुझे सिखाने वालों में से एक हैं, वे हमेशा कहते थे ज्‍यादा रंगों का इस्‍तेमाल करने से अख़बार मैग्जिन लगता है। मैं उनक बात से सहमत था। ब्‍लैक कलर का इस्‍तेमाल करके जितनी आसानी से पेज बनाया जा सकता है, उतना किसी भी कलर में नहीं फिर अल्‍टर करना हो तो आसान हो सकता है। वैसे ब्‍लैक एंड रेड का संयोजन अच्‍छा होता है लेकिन वो भी आटे में नमक के जितना।