मंगलवार, जुलाई 21, 2009
मैं पापा बन गया हूं
कुछ दिनों पहले (17 जुलाई ) मेरे घर में एक नन्ही परी ने जन्म लिया है। इसलिए ब्लॉग की दुनिया से थोड़ा दूर हूं, और कुछ समय के लिए दूर ही रहूंगा। ब्लॉगर बिरादरी इसके लिए मुझे क्षमा कर देंगी। दरअसल घर में जब से बेटी का जन्म हुआ है, कुछ काम में मन नहीं लगता। मैं हमेशा कहता हूं, दुनिया की दो अद्भूत चीजें हैं, एक अख़बार का बनना और दूसरा एक बच्चे का जन्म । अब इन दोनों चीजों का अनुभव हो चुका है। अगर तुलना करूं तो बेटी के होने का सुख अख़बार से कहीं ज्यादा है। पत्नी की डिलेवरी सीजेरियन से हुई है, इसलिए उसका भी ख्याल रखना है। इस बीच अख़बार की बात जारी रहेगी। dharmendrabchouhan@gmail.com